राम अवतार / कुमार कृष्ण
गली-दर-गली नंगे पाँव घूमते हुए
अपने कन्धों पर उठाये पूरी दुकान
हर रोज देखता हूँ मैं पाजामे वाले राम अवतार को
सोचता हूँ-
आखिर कब तक बचा पाएगा
वह अपने डिब्बे में मूँगफली
ऐसे समय में-
जब बेशुमार लोग लौट रहे हैं शॉपिंग मॉल से
एक ख़ूबसूरत मुस्कान के साथ
एक कमीज़ के पैसों में तीन-तीन कमीज़ें लेकर
राम अवतार रत्ती भर भी नहीं जानता-
बनिये और बाज़ार का बीजगणित
उसने सीखा है बस अपने पिता से-
घण्टी बजाकर मूँगफली बेचना
बेचारा राम अवतार नहीं जानता-
मूँगफली की जगह लोग
अंकल चिप्स के शौक़ीन हो गये हैं
अंकल चिप्स वाला अंकल जानता है-
दुनिया की तमाम भाषाएँ
उसे आता है दुनिया की नब्ज़ देखना
वह जानता है घंटियों को गूँगा करना
हमारी जो ज़ुबान बोलती है भाषा
वह उसी का स्वाद बदलता है
वह बनाता है-
सौन्दर्य की, स्वाद की परिभाषा
सपनों की, सोने की भाषा।