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राम तेरी गंगा मैली हो गई / रविन्द्र जैन

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सुनो तो गंगा ये क्या सुनाए
के मेरे तट पर जो लोग आए
जिन्होंने ऐसे नियम बनाए
के प्राण जाए पर वचन न जाए
गंगा हमारी कहे बात ये रोते रोते

राम तेरी गंगा मैली हो गई
पापियोंके पाप धोते धोते

हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती
ऋषियों के संग रहने वाली पतितों के संग रहती
ना तो होठों पे सच्चाई नही दिल में सफ़ाई
करके गंगा को खराब देते गंगा की दुहाई
करे क्या बिचारी इसे अपने ही लोग डुबोते ...

राम तेरी गंगा मैली हो गई
पापियों के पाप धोते धोते

वही है धरती वही है गंगा बदले है गंगावासी
सबके हाथ लहू से रंगे हैं मुख उजले मन काले
दिये वचन भुला के झूठी सौगंध खा के
अपनी आत्मा गिरा के चलें सरको उठा के
अब तो ये पापी गंगा जल से भी शुद्ध न होते ...

राम तेरी गंगा मैली हो गई
पापियों के पाप धोते धोते