राम नाम प्रेम से पीय मोर भाई।
साधु के मठिया प्रेम के हटिया, उहँईं बइठीह जाई।।
राम नाम रस चुवत होइहें, डाक से अमल होई जाई।
ब्रह्मा विस्नु-सिव रस पियले, तीनु जना पवले बड़ाई।।
कागभुसुंडी गरूर रस पीयले, सेहु अमर पद पाई
नानक, दरिया, दास कबीरा पीयले, पीयाला जाई।।
धोई-धाई सूर-तुलसी पीयले, सेहु अमर पद पाई।
‘देवदत्त’ गरजी खूब करे अरजी, बहुत प्रकार समुझाई।।