भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राम भरोस / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
मोटे-ताजे रामभरोसे
खा जाते दस-बीस समोसे
फिर वे खाते गर्म जलेबी
मम्मी सबके पैसे देगी
चादर ताने फिर सो जाते
पापा कानों पकड़ उठाते
चलो साइकिल अभी उठाओ
जाओ झटपट सब्जी लाओ
करो काम कुछ करो पड़ाई
वरना होगी बहुत हँसाई
पहले अपना वजन घटाओ
ज्यादा खेलो, थोड़ा खाओ