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रावण (एक) / पूनम चंद गोदारा

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पूरौ राखूंडै मांय तो
मिल्यौ ई
कोनी हो रावण !

लोग-बाग
बळतै रावण री ही करै हा
बातां

कोई
लूंठौ विद्वान बतावै हो
कोई अधर्मी
कोई रागस बतावै हा

आंगळ्या पर
गिणीजै हा गुण-औगण
सैंग आपरै मुजब
कीं सरावै-बिसरावै हा

आंख्या साम्ही
भीड़ स्यूं फेरूं जोरामरजी
ऐक रावण
कर लेग्या एक सीता रौ
अपहरण !

अर लोग आंख्या मींच्या
देखता रैया
बळतोड़ो रावण
अर गिणता रैया गुण-औगण !