भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रिश्ता / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
भूख के शीशे भी
धुँधले पड़ चुके हैं अब
शीशा तो जरिया था
उठे हुए हाथों और सोये हुए बदरंग धब्बों के बीच
आर-पार देखने का
बँधी हुई मुट्ठी और फैले हुए हाथों के बीच
चुप और चिल्लाते हुए
हाथों के बीच
रोटी; एक रिश्ता थी
और यह रिश्ता भी भूख के शीशों की तरह
धुँधला होता जा रहा है
तो क्या भूख का शीशा
रोटी का रिश्ता
अँधेरे में खुलते वे द्वार हैं
जहाँ हम एक दूसरे को नहीं पहचानते!
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।