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रिश्ते-1 / निर्मल विक्रम
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ये कँटीले रिश्तों की झाड़ियाँ
बिच्छुओं के डंक सिर्फ़
लकीरें बनाती हैं
विषबुझी लकीरें हैं
घुटन में घुटती हैं
निराश
न सुबह अपनी
रातें भी पराई हैं
सोचों में उलझनें डाले
कसती हैं मोड़ कर
ये रिश्तेदारियाँ
मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव