Last modified on 29 मई 2014, at 09:41

रुखसाना का घर-7 / अनिता भारती

रोती हुई रुखसाना कहती है
अब हमारा कौन है
जब हमारे अपने बड़ो ने
ही हमें गांव-घर से खदेड दिया
चार पीढी से पहले से रहते आए है हम यहां
इन सारी पीढियों के विश्वासघात की कीमत क्या होगी
क्या उसको चुकाना मुमकिन है
कितनी कीमत लगाओगे बताओ
प्यार से खाए गए एक नमक के कण का कर्ज
चुकाने में चुक जाते है युग
तब कैसे चुकाओगे तुम
चार-चार पीढियों के भरोसे विश्वास के कत्ल का कर्ज