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रुपया खरच कू रख लीजो / ब्रजभाषा
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बारे लाँगुरिया रुपया खरच कू रख लीजो,
मैंने बोली है करौली की जात॥ लँगुरिया.
बारे लाँगुरिया चम्पा की मैयाहू जावैगी,
और सुन्दर की कर गई बात॥ लँगुरिया.
बारे लाँगुरिया साड़ी तौ लादै नायलौन की
जामें चमकैं जोबन गात॥ लँगुरिया.
बारे लाँगुरिया गोटा किनारी वापै लगवाऊँ,
चाहे उठ जाँय पाँच के सात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया गोद मेरी तो सूनी है,
अब जाय मांगूगी देवी मात॥ लँगुरिया.
वारे लाँगुरिया मन में तू शंका कछु न रखियो
वहाँ पै जो माँगे ‘प्रभु’ पात॥ लँगुरिया.