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रूपक / कन्हैया लाल सेठिया

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गोधळक्यां
निकळ’र आंतो
खितिज री ओट स्यूं
भैंस्यां रो झुंड
भादुड़ै री कळायण,
डूबतै सूरज री
सोनल किरणां में
पळकता सींगड़ा
खीवती बीजल्यां !