गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 6 जनवरी 2014, at 13:58
रूप-सील-सौंदर्य-निधि महाभाव रसखान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
हनुमानप्रसाद पोद्दार
»
पद-रत्नाकर
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
रूप-सील-सौंदर्य-निधि महाभाव रसखान।
स्याम-सुखी स्यामा अतुल राधा परम सुजान॥