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रूप की राह / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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रूप की राह पर जब-जब भी चले बहक,
प्रीत की छाँह में भी दर्द कई दहक गए,
उन परिंदों की मगर याद बहुत आती है-
जो मेरे बाग में दो पल के लिए चहक गए।