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रूबरू मिलें न मिलें / अशेष श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
रूबरू मिलें न मिलें
कोई बात नहीं
दिल में दूरियाँ मगर
नहीं आनी चाहिये...
मतभेद अपनों में हो
कोई बात नहीं
मनभेद अपनों से मगर
नहीं होना चाहिये...
दिलों में प्यार ना हो
कोई बात नहीं
दिलों में नफ़रत मगर
नहीं होनाी चाहिये...
किसी को मान ना दें
कोई बात नहीं
किसी का अपमान मगर
नहीं करना चाहिये...
आप सही हों ग़लत हों
कोई बात नहीं
बात जब अपनों की हो तो
हार जाना चाहिये...
कितनी ही कहा सुनी हुई हो
कोई बात नहीं
फ़िर कभी सामना हो तो आगे
बढ़ मुसकुराना चाहिये...
अच्छी बुरी बातें तो होती हैं
कोई बात नहीं
अच्छी बातों को याद रख
बुरी को भूल जाना चाहिये...
किसी भी धर्म, जाति, भाषा के हों
कोई बात नहीं
बात जब देश की हो तो
सब भूल जाना चाहिये...