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रेंक / अज्ञेय

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रेंक रे रेंक गधे रेंक रे रेंक!
कुटिया के पीछे का आँगन डेढ़ बित्ते का
छेंक ले छेंक गधे रेंक रे रेंक!

रेंक रे रेंक गधे रे रेंक
अपने ही रूप पर होता लोट-पोट, टाँगें
नभ ही ओर फेंक रे फेंक
गधे, ऊँट का साक्ष्य क्या? रेंक रे रेंक!

अन्योक्ति? ऊँह, होगी : गधा होगा सो होगा,
पर बोलिए, ऊँट क्या आप हैं?

दिल्ली, 13 जून, 1954