रै सुणल्यो जंग की कथा सुणावण आया / हबीब भारती
रै सुणल्यो जंग की कथा सुणावण आया…
मई महीना सन् सत्तावन जंग की त्यारी हो गी थी,
दस तारीख नै सेना बागी हिन्दी की प्यारी हो गी थी,
अम्बाला और मेरठ के म्हां मारा-मारी हो गी थी,
मेरठ से था कूच किया दिल्ली सेना आई देखी,
कृष्ण गोपाल कमाण्डर थे वा लाल किले पै छाई देखी,
ग्यारहा तारीख याद करो भाई गोरी सेना ढायी देखी,
किया लाल किले पै कब्ज़ा, मैं याद दिलवाण आया
देशी सैनिक टूट पड़े, ज्यूं मूस्से पै झपट्या बाज़,
बारहा तारीख मई महीना दिल्ली के म्हां बद्ल्या राज,
बहादुर शाह बणे हिन्द के नेता, शीश ऊपर चढ्या ताज,
गाम-गाम शहर-शहर में हो गी थी भई फौज खड़ी,
सर्वखाप की फौज थी वै शत्रु स्याह्मी खूब लड़ी,
हिन्द के इतिहास में आई थी वा सोरण घड़ी,
हिन्दु, मुस्लिम लड़े इक्ट्ठे, गोरा मार भगाया
हरियाणा लाइट इनफैंटरी रोहतक म्हां भड़क उठी,
नेटिव इनफैंटरी साथ आगी गरनेडियर फड़क उठी,
सोनीपत और करनाल में बिजली सी कड़क उठी,
महम, मदीणे, सांपले मैं चुंगी सारी लूटी गई,
कैथल, सिरसा, थाणेसर मैं गोरी सेना कूटी गई,
असंध, गोहाणा, पानीपत मैं कर दी उसकी छुट्टी गई,
उटावड़ के म्हां जमे मेवाती, अड़क मोर्चा लाया
छोट्टे-बड्डे नगरां मैं भई सारै पाटी डीक देखी,
गोरे टोह-टोह के मारे थे, निरी लिकड़ती चीख देखी,
पंचाती प्रशासन बणग्याए बात बणती ठीक देखी,
खजाने लूटे, जेळ तोड़ी, जनता नै लगाया भोग,
गोरा शासन खत्म हुआ तो सबके कटते दीखे रोग,
आज़ादी का आलम छाग्या खुशी मनावैं थे सब लोग,
हबीब भारती जंग में, नया इतिहास रचाया