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रोटी एक भाषा है / नरेश मेहन
Kavita Kosh से
रोटी फगत
एक सबद नीं
एक भासा है
पूरी-पूरी भासा
भूख री
जिण नै फगत
चूल्हो अर पेट जाणै।
इण सबद री
आ भासा
नापै भूख नै
नाप परी
खुद बुझ जावै
फगत एक बार
किणीं गरीब रै पेट में
भळै चेतन होवण तांई।
चूल्हो
निरो आलोचक
कूंतै फगत
रोटी री भासा
सबद अनै उण री व्यंजना
संवेदना नै टाळ
बो कद जाणै
भूख री तड़प
बो जाणै फगत
भीतरली आंच।