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रोशनी / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
रोशनी कहां से आती है ?
खुले तारों से
खड़े खम्भों से
दिल की दीवारों से
रोशनी कहां से आती है
पानी से
रेत से
पत्थरों से
कुदरत से
रोशनी कहां से आती है ?
आकाश से
पाताल से
हवा से
सूरज से
कहीं से आए
सचलण करनी है
दिल की रोशनी