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रो रही थी विधवा वह उस रात / इवान बूनिन
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रो रही थी विधवा वह उस रात
छोड़ चुका था बच्चा जिसका साथ
--हाय! मेरे प्यारे! मेरे लाल !
मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़
तू चला गया क्यों, मुझ से मुँह मोड़
उसका बूढ़ा पड़ोसी भी रो रहा था
हाथों से अपने आँखें मल-मल के
रो रहा था नन्हा मेमना भी
ऊपर चमक रहे थे तारे झल-मल से
और अब
रोती है वह माँ रातों को
रोती है रात भी हर रात
दूसरों को भी रुलाती है वह अपने साथ
आकाश में आँसूँ बहाते हैं सितारे
आँखों को मल-मल रोता है ख़ुदा
उस बच्चे को याद कर प्यारे
(24 मार्च 1914)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय