भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
र / अय्यप्प पणिक्कर
Kavita Kosh से
बरररसात
बरसात जैसे
रिम झिम झिम झिम
नहर जैसे
हर हर हरा हर
कीड़े जैसे
कुर्र कुर्र कुर्र्रू रु रु रु
सड़क जैसे
सर्रर्र सररर सरा
बरसती है
बहती है
रेंगती है
सरकती है
खूबसूरत जैसे...
हिन्दी में अनुवाद :रति सक्सेना