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लक्ष्मण शक्ति प्रसंग / राघव शुक्ल

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व्याकुल रघुवर देख रहे हैं रण में निज क्षतिग्रस्त ढाल को
शक्ति लगी है लखन लाल को

सारे सेनापति उदास हैं
सूर्य निकलने के विचार से
बूटी कौन खोजने जाए
एक आस अंजनि कुमार से
 पवन वेग से जाकर हनुमत ले आए पर्वत विशाल को

वैद्यराज श्रीमन सुषेण ने
बूटी संजीवनी पिलाई
जय जयकार हुई सेना में
पुनः चेतना तन में आई
लखनलाल ने आंखें खोली किया पराजित आज काल को