भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लगायी दिहलऽ ताजवा प दाग बलमु / चंद्रभूषण पाण्डेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लगायी दिहलऽ ताजवा प दाग बलमु
दगाबाज से तु भऽइलऽ दंगाबाज बलमु
दिली रहे दिल के, जवरे रहत रहऽ मिल के
छिछोहल बा करेजा रसगुला चाभऽ छिल के
तरे तरकारी पर छुछे भात बा जातल
हित मित नित नवभेखे के भाखल
तोहके कवना मुंहे कहीं रंगबाज बलमु
दगाबाज से तु भऽइलऽ दंगाबाज बलमु
लगायी दिहलऽ ताजवा प दाग बलमु
दगाबाज से तु भऽइलऽ दंगाबाज बलमु