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लचिका रानी / खण्ड 2 / अंगिका लोकगाथा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दूसरा खण्ड

रम्मा सुनोॅ आगू के वचनमो रे ना
रम्मा सुनोॅ सब भाई, बहिन धरि धियनमो रे ना
रम्मा लचिका के आगू रोॅ बचनमो रे ना
रम्मा जाय पहुँचलै पापी राजवो रे ना
रम्मा शिव मंदिरवा के नगीचवो रे ना
रम्मा घुसियैलो छेलै जहाँ रानी लचिको रे ना
रम्मा कानै छेलै कपरवा धुनि-धुनि रे ना
रम्मा वहाँ जायके बोले पापी राजवो रे ना
रम्मा चल्लोॅ आवोॅ मंदिर से बहरवो रे ना
रम्मा आपनोॅ तों चाहोॅ कुशलवो रे ना
रम्मा अगर नै ऐभौ बहरवो रे ना
रम्मा काटी देवौ तोरोॅ सिरवो रे ना
रम्मा सुनीकेॅ राजा के बचनमो रे ना
रम्मा बौले सुनीकेॅ लचिका रनियो रे ना
रम्मा सुनोॅ हमरो अरजबो रे ना
रम्मा केना हम्में निकलबै बहरवो रे ना
रम्मा भीजलोॅ हमरोॅ कपड़वो रे ना
रम्मा झलकतै हमरोॅ सभे अंगवो रे ना
रम्मा निकलै में लागै हमरा शरममो रे ना
रम्मा घटवा पर हमरोॅ कपड़वो रे ना
रम्मा लानी केॅ देभौ हमरोॅ अगुओ रे ना
रम्मा तबेॅ पीन्ही केॅ निकलबै बहरवो रे ना
रम्मा सुनि केॅ लचिका के बतियो रे ना
रम्मा लानी केॅ देलकै राजा नुग्गा-साया बुलाऊजवो रे ना
रम्मा सब चीज पीन्हीं निकललै बहरबो रे ना
रम्मा चल्लोॅ गेलै राजा के समनमो मेें रे ना
रम्मा राजा भेलै खुशिया मगनमो रे ना
रम्मा राखलेॅ छेलै उड़न खटोलवो रे ना
रम्मा लचिका केॅ बैठलकै उपरवो रे ना
रम्मा पापी राजा भेलै आनन्दवो रे ना
रम्मा लैकेॅ चली देलकै सथवो रे ना
रम्मा जतना छेलै लश्करियो रे ना
रम्मा सब गेलै राजा के नगरियो रे ना
रम्मा बरपपा के सुनो अब जिकरियो रे ना
रम्मा भारी हल्ला होलै गढ़ के भीतरवो रे ना
रम्मा रूदन पीटन पड़ी गेलै महलियो रे ना
रम्मा प्रीतम सिंह के रोवै महतरियो रे ना
रम्मा छाती पीटी-पीटी कहै बचनियो रे ना
रम्मा नाश होलै कुल-खनदनमो रे ना
रम्मा पूतोहो के करनमो रे ना
रम्मा केतना घर भेलै मोसमतवो रे ना
रम्मा सबके धोएैलै सिर सिन्दुरवो रे ना।
रम्मा छोड़ी केॅ गेलै आपनोॅ ललनमो रे ना
रम्मा गेलै हठ करि पोखिरियो रे ना
रम्मा धन-जन करलकै संहरवो रे ना
रम्मा करनि के पैलकै फलवो रे ना
रम्मा महीना दिनो के रहै ललनमो रे ना
रम्मा आवेॅ सुनोॅ वहाँ के हलवो रे ना
रम्मा लचिका केॅ लै गेलै लक्ष्मीपुर के रजवो रे ना
रम्मा खटोलबा के उपरवो रे ना
रम्मा जबेॅ पहुँचलै गाँव के नजदीकवो रे ना
रम्मा दस कोस रहलै फसिलवो रे ना
रम्मा पड़ी गेलै वहाँ कममो रे ना
रम्मा लागलोॅ रहै वहाँ पचरंग बजरवो रे ना
रम्मा लचिका केॅ लैकेॅ वहाँ रजवो रे ना
रम्मा पहुँचलै जायकेॅ ठिकनमो रे ना
रम्मा उतारलकै वहाँ उड़नखटोलवो रे ना
रम्मा जुटी गेलै पलटनियो रे ना
रम्मा करै लागलै सब लोग दतबनमो रे ना
रम्मा बोलै लचिका तबेॅ बचनियो रे ना
रम्मा सुनि लेॅ राजा हमरोॅ बचनमो रे ना
रम्मा यहाँ तनवाय देहोॅ तम्बुकवो रे ना
रम्मा आपनोॅ मकानमा तांय रे ना
रम्मा हम्मे चलबै तम्बुकबा भीतरबो रे ना
रम्मा यहाँ सें करलेॅ जैबै दनमो रे ना
रम्मा देहोॅ तहूँ मंगाई केॅ समनमो रे ना
रम्मा करवे हम्मे तबेॅ दतनमो रे ना
रम्मा तोहरे हाथो सें पियबै हम्में पनियो रे ना
रम्मा धीरें-धीरें चलबै तोहरोॅ घरबो रे ना
रम्मा दिन भरी में चलबै पाव भर रसतवो रे ना
रम्मा नाहीं मानबै बीचोॅ एक्को बतियो रे ना
रम्मा मारी देभौ तों हमरोॅ जनमो रे ना
रम्मा यहेॅ छौं हमरोॅ कहनामो रे ना
रम्मा तबेॅ होतौं तोहरोॅ इच्छा पूरनमो रे ना
रम्मा सुनी केॅ रानी के बचनमो रे ना
रम्मा राजा कहै मीठी बोलियो रे ना
रम्मा तुरंते होय जैतै सब काममो रे ना
रम्मा राजा कही केॅ एतना बचनमो रे ना
रम्मा बौलेलकै सब नौकरबो रे ना
रम्मा राजा देलकै सबकेॅ हुकुममो रे ना
रम्मा जल्दी सें तनाबै तम्बुकवो रे ना
रम्मा दस कोस यहाँ सें मकनमो रे ना
रम्मा घर तक तानी दै तम्बुकवो रे ना
रम्मा तम्बुकवा तानै सब नौकरवो रे ना
रम्मा राजा कहैलेॅ गेलै खबरवो रे ना
रम्मा सगरो तनाय गेलै तम्बुकवो रे ना
रम्मा दस कोस रसतवा लागै दस बरसवा दिनमो रे ना
रम्मा राजा तबेॅ बोलाबै दीवनमो रे ना
रम्मा जल्दी सें जैभौ तों नगरियो रे ना
रम्मा खंजाची केॅ देहोॅ खबरियो रे ना
रम्मा सुनी केॅ राजा के बचनमो रे ना
रम्मा वहाँ सें चल्लै दीवनमो रे ना
रम्मा गेलै खजांची के पसबो रे ना
रम्मा कहि देलकै राजा के हुकुममो रे ना
रम्मा खजांची देलकै तुरंते समनमो रे ना
रम्मा एैले तबेॅ लैकेॅ दिवनमो रे ना
रम्मा रानी केॅ देलकै सब समनमो रे ना
रम्मा तबेॅ करेॅ लागलै रानी दानमो रे ना
रम्मा दान करतें हुवेॅ चल्लै डगरियो रे ना
रम्मा चली देलकै राजा के दरबरियो रे ना
रम्मा दिन भरि में चलै रती भर जमीनमो रे ना
रम्मा मनमा में करिकेॅ विचरवो रे ना
रम्मा हमरे खातिर कुल होलै नशवो रे ना
रम्मा येहो सोचतें चल्लै मनमो रे ना