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लड़ाई हक के बा अपना, जतावल भी जरूरी बा / जौहर शफियाबादी
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लड़ाई हक के बा अपना, जतावल भी जरूरी बा
बतावल भी जरूरी बा, बुझावल भी जरूरी बा।
कबो ई साँप बहिरा ना सुनी कवनो मधुर भाषा
कड़क छिंउकी आ पैना से जगावल भी जरूरी बा।
खड़ा तुफान में होके बचावे के पड़ी टोपी
घड़ी भर माथ के अपना झुकावल भी जरूरी बा।
सही अक्षर के खातिर मश्क करहीं के पड़ी बाबू
बनावल भी जरूरी बा, मिटावल भी जरूरी बा।
बतावल बा इहे दर्शन से दर्शन जिन्दगानी के
उगावे खातिर अपना के, डूबावल भी जरूरी बा।
कबो जौहर ना देखस कोरा सपना दिन में कवनो
एही से आज उनका के घटावल भी जरूरी बा।