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लड़ाई / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
Kavita Kosh से
लड़ाई को टाला नहीं जा सकता
किसी भी पायदान पर
पैरों तले सुरंग बिछाई गई हो या
ऊपर से हो बमों की बरसात
उतरना ही पड़ता है मैदान में
तैयारी के साथ
फिर चाहे शत्रु भीतर का हो या बाहर का
जीत का मौसम बहुत पहले
छोड़ दिया है पीछे
युद्धशास्त्र की चौखट के भीतर भी
जीता जा सकता है बहुत कुछ
कब्ज़े में लिए जा सकते हैं नए प्रदेश
बढ़ाते हुए क़दम-दर-क़दम
हैं इतना सामर्थ्य भी,
परन्तु
हारे हुए को कैसे जीता जाए?
जीतकर भी नहीं रोकी जा सकती
भीतर ही भीतर चलती रात-दिन की लड़ाई
लड़ाई तो टाल नहीं सकते
लड़ते रहेंगे
लड़ते रहेंगे
हारते रहेंगे
एक-एक प्रदेश !
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत