भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लागल करेजवा में गोली हो, सुनि कोइलर के बोली / भोजपुरी होली गीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लागल करेजवा में गोली हो, सुनि कोइलर के बोली ।।टेक ।।

छलकि -छलकि जाला रस के गगरिया ।
चलल दुलुम भइले रहिया डगरिया ।
जहें -तहें करेला ठिठोली हो, नवछटियन के टोली ।।टेक ।।

भरि-भरि के मारे देवरा फिचुकारी ।
भींजि के लथपथ हो गइले सारी।
मसकि गइल हमार चोली हो, कइसे खेलीं होली ।। टेक ।।

झिरी-झिरी बहेला बेयार मधुआइल ।
कुफुरेला जीव मोर पियवा न आइल ।
दुअरा लगाइल केहू डोली हो,जइसे उड़नखटोली ।।टेक ।।

कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से