भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाठी / कुमार कृष्ण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह हिम्मत है, हौसला है
चलता- फिरता साहस है लाठी
किसी के लिए हथियार
किसी के लिए प्यार
किसी के लिए डर
किसी के लिए डगर है लाठी
वह है बुजुर्गों की दोस्त ख़ूबसूरत जिजीविषा
लाठी जानती है धरती का तापमान
जानती है अपना रास्ता बनाना
निर्बल का बल
विषधर का छल है लाठी
लाठी नहीं जानती ऊँच-नीच
छोटे- बड़े का अन्तर
दुबला- पतला साम्यवाद है लाठी।