भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाडले / शुभा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक
कुछ भी कहिए इन्हें
दूल्हा भाई
या नौशा मियाँ
मर चुके पिता की साईकिल पर दफ़्तर जाते हैं

आज बैठे हैं
घोड़ी पर नोटों की माला पहने
कोशिश कर रहे हैं
सेनानायक की तरह दिखने की।

दो

18 साल की उम्र में इन्हें अधिकार मिला
वोट डालने का
24 साल की उम्र में पाई है नौकरी
ऊपर की अमदनी वाली
अब माँ के आँचल से झाँक-झाँक कर
देख रहे हैं अपनी सम्भावित वधू
चाय और मिठाई के बीच।