लाडो / सुन्दर कटारिया
ऐ छोरी खड़ी हो देही नै झाड़ दयूंगी
पढले उठकै ना तै तेरा तसला काढ दयूंगी।
इतने लाडां तै तो तू पाल़ी पोस्सी
तेरे जाप्पे मैं आई थी तेरी मौस्सी।
तनै बेरा सै जिब तू घर मैं आई थी
तेरी दादी नै फूट्टी आँख नही सुहायी थी।
तेरा बाबू फटकार कै सोया था
दादा भी तेरा दुहात्तड़ मार कै रोया था।
दायी आकै नाल़ काटगी थी
बुआ भी जाप्पे मैं आण तै नाटगी थी।
उस दिन मनै ब्होत दुख होया था
साची जाणिये मेरा भीतरला रोया था।
एक बै सोच्ची थी रामजी का नाम ले दयूं
कले़स कट ज्यागा तेरै गुठ्ठा दे दयूं।
पर तू मेरी लाडो थी मेरे पेट की जाई
तेरे मुहं नै देखकै मै मुस्कुराई।
महीने की हुयी तो तेरा बाबू तनै लेण लागग्या
छ महीने मैं दादा भी ध्यान देण लागग्या।
जिब तू दादी धोरै जाण लागगी
तो वा भी तेरे पै ममता लुटाण लागगी।
बुआ जिब भी मिलण आया करती
तेरे ताहीं फिराक ल्याया करती।
लछमी बणकै घर मै बीज प्यार के बोगी
धीरे धीरे तू सबकी लाडो होगी।
गीतां मैं ढोलक पै झूमती
दादा का गूठ्ठा पकड़े घूमती।
भाज्जी भाज्जी पूरी गाल़ मैं हाण्डयाया करती
गुदगुदी होते ही खिलखिलाया करती।
जितना तू पढती गयी
उतनी ए आग्गै बढती गयी।
ईब सपन्यां मै राजी होण लागरही सै
आज बारहवीं का पेपर सै अर तू सोण लागरही सै।
खड़ी हो दिन लिकड़याया मत रह लेटी
पढ़ लिखकै तू बणज्या देस की लाडो बेटी।