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लादो / कन्हैया लाल सेठिया

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फिरै
लियां सूरज ऊंट
तावड़ै रो लादो
मोलावै
सागै चालती छयां
पण कोनी पटयो
सौदो
जणां नखा लियो
सिंझ्या
दे’र मूंडै मांग्या दाम
ऊभो हो
बीं री बाखळ में
भूखो
चांद सांड !