भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाली पिअरी एक लेमुआ , नूनू बाबू लाली जनेउआ माँगे हे / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में विधि-विधान के साथ उपनयन-संस्कार संपन्न करने और देवताओं तथा पितरों के, वंशवृद्धि की सूचना पाकर आनंदित होने और आशीर्वाद देने का उल्लेख है।

लाली पिअरी एक लेमुआ<ref>नींबू</ref>, नूनू<ref>बच्चे के लिए प्यार का संबोधन</ref> बाबू लाली जनेउआ माँगे हे।
नूनू बाबू पिअरी जनेउआ माँगे हे॥1॥
मड़बाहिं बैठल सभे दादा, गेंठ जोड़ी<ref>गाँठ जोड़कर; माँगलिक कार्य के समय, पति की चादर और पत्नी के आँचल के छोर को आपस में बाँधकर चौके पर बैठने की प्रक्रिया; ग्रंथि-बंधन</ref> दुलहिन दादी हे।
मड़बाहिं घिअरा<ref>घी</ref> ढरिये<ref>ढाला गया</ref> गेल, ऊजे<ref>वह जो</ref> पितर अनंद भेल हे।
ऊजे देब<ref>देवता</ref> लोग अनंद भेल हे।
जुड़यल<ref>तृप्त हुए</ref> देब आसिक<ref>आशीर्वाद</ref> देत, बाबू अब बंस बाढ़त हे॥2॥

शब्दार्थ
<references/>