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लाल, हरा, नारंगी, नीला, पीला है / अश्वनी शर्मा

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लाल, हरा, नारंगी, नीला, पीला है
जो भी रंग मिला है, वही पनीला है।

वो बेचारा, हम बेचारों जैसा है
बस बस्ती का पानी जरा नशीला है।

खुलकर सांस नहीं ले पाओगे बाबा
मौसम का अंदाज बहुत ज़हरीला है।

रीढ़ नहीं हैं, घुटनों के बल चलता है
बहुत लिज़लिज़ा, नाम मगर चमकीला है।

दुनिया पूरी जैसे रैम्प बनी कोई
बेलिबास का ही लिबास भड़कीला है।

भरी दुपहरी जैसा, वैसा सांझ ढले
मेरा साया, बदला कब, शर्मीला है।

ये आदम के बेटों की ही चोटें हैं
आसमान को शौक नहीं जो नीला है।