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लाल बिना बिरहाकुल बाल बियोग की ज्वाल भई झुरि झूरी / देव
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लाल बिना बिरहाकुल बाल बियोग की ज्वाल भई झुरि झूरी ।
पानी सोँ पौन सोँ प्रेम कहानी सोँ पान ज्योँ प्रानन पोषित हूरी ।
देवजु आज मिलाप की औधि सो बीतत देखि बिसेखि बिसूरी ।
हाथ उठायो उड़ाइबे को उड़ि काग गरे परी चारिक चूरी ।
देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।