लिख डालो इतिहास नया / महावीर प्रसाद ‘मधुप’
माँग रही है भारत माता फिर अपनी संतान से।
लिख डालों इतिहास नया फिर आज नए बलिदान से।।
आँख दिखाने लगा शत्रु फिर, डरने की पर बात क्या।
सिंह सपूतों के सन्मुख है गीदड़ की औक़ात क्या।।
नश्वर तन को, अजर-अमर जो हैं आत्मा को मानते।
मोह उन्हें क्या निज प्राणों को कष्ट और आघात क्या।।
निर्भय हो बढ़ चाले समर में जूझ पड़ो तूफ़ान से।
लिख डालो इतिहास नया फिर आज नए बलिदान से।।
ध्वंस कंस का करने वाले तुम नटव घनश्याम हो।
निशिचरहीन मही करने को दृढ-प्रतिज्ञ तुम राम हो।।
तुम अगस्त्य बन पी सकतेहो पल में सिंधु अथाह को।
कौरव दल को दलने वाले तुम अर्जुन बलधाम हो।।
कंपित कर सकते तुम भूमण्डल को शर-संधान से।
लिख डालो इतिहास नया फिर आज नए बलिदान से।।
वीर जवानो! भरा हृदय में प्रलयंकर-सा रोष हो।
बिफरी हुई जवानी, मन में मर-मिटने का जोश हो।।
चूर-चूर कर दो रिपु की सेना को वज्राघात से।
क़दम-क़दम पर हर जवान के मुख पर जय का घोष हो।।
हों धरती-आकाश निनादित अपने गौरव-गान से।
लिख डालो इतिहास नया फिर आज नए बलिदान से।।
उठो आज कर्त्तव्य तुला पर अपने बल को तोल दो।
तन-मन-धन की भेंट चढ़ा कर माता की जय बोल दो।।
अपना स्वर्ग न लुटने पाए, शाम न हो आज़ादी की।
भामाशाह बनो धनवालो! भरे ख़ज़ाने खोल दो।।
रहे तिरंगा उड़ता अपना नभ में ऊँची शान से।
लिख डालो इतिहास नया फिर आज नए बलिदान से।।