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लिपि-पोति देलूँ अँगनमा, अँगनमा सोहामन हे / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लिपि-पोति देलूँ अँगनमा<ref>आँगन</ref> अँगनमा सोहामन<ref>सुहावना, शोभायमान</ref> हे।
गजमोती चउका<ref>चौका</ref> पुरावल<ref>पूरण किया, अर्थात भरा</ref> सोने कलस धरी हे॥1॥
आजु हे रामजी के बियाह, चलहुँ मंगल गामन<ref>गाने</ref> हे।
जुग-जुग जीथिन<ref>जीयेंगे</ref> सीतादेइ<ref>सीता देवी</ref> अवरो<ref>और</ref> सीरीराम दुलहा हे॥2॥
भोगथिन<ref>भोगेंगे</ref> अजोधेया के राज, तीनों लोक सुन्नर हे।
जुग-जुग बढ़े अहिवात, जे मंगल गावत हे॥3॥
शब्दार्थ
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