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लीजिए कटोरा अमखोरा वो गिलास खूब / महेन्द्र मिश्र
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लीजिए कटोरा अमखोरा वो गिलास खूब
उगलदान पानदान छीपी भी हजारी है।
गगरा परात लोटा थारी के ठेकाना नहीं
तावा भी धरे है वो कराही लोहे वारी है।
कठरा अवर हथरा है हंडा सुराही लाख
पावा झंझार पुरी पलंग की तइयारी है।
द्विज महेन्द्र रामचंन्द्र सउदा कुछ लीजे आज
कवन ऐसी वस्तु ना दोकान में हमारी है।