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लुकमींचणी - दो / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
लुकमींचणी रो खेल
कठै खतम हुयो है हाल
बरसां पछै ई
थूं लुकै
म्हैं सोधूं
बिंयां रो बिंयां।
थारा थरप्योडा नेम
थूं ई तौडे
बास री मरजाद
कोनी मानै
म्हारै मूंढै सूं
हेस-पेस निकळयां पैलां
थप्पी कर परो
एक बीजी डांई मांड देवै।
बाळपणै दांई
जिंदगाणी में
कद तांई
लुकैला थूं इण भांत ?
कद तांई
म्हैं सोधूंला थनै
बावळो-सो।
कद तांई
चालैला ओ खेल ?
कद तांई
थूं पिदावैला म्हनैं
रोगस रै पाण ??