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लुगाई : एक / सांवर दइया
Kavita Kosh से
जुगां सूं चालती
अमर आसीस सागै थारै-
दूधां न्हावो : पूतां फळो !
आयै बरस
बंस बधावै तूं
बिरछ बणै थारा बीज
सूखै-छीजै तूं
धुखै छाणै दांई
सवाई हुई बाड़ी में
तूं अकेली !
साव एकली तूं !!