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लेखनी के पास हस्ताक्षर नहीं है / शिव ओम अम्बर
Kavita Kosh से
लेखनी के पास हस्ताक्षर नहीं है,
यक्ष-प्रश्नों के लिये उत्तर नहीं है।
अग्निगर्भा कोख बंध्या लग रही है,
अक्षरों के वंश में दिनकर नहीं है।
ये न पूछें काफिला है किस जगह पे,
इस डगर पे मील का पत्थर नहीं है।
राजधानी में छिड़ी है बीन जबसे,
बाँबियों में एक भी विषधर नहीं है।