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ले गया दिल में दबा कर राज कोई / आलोक श्रीवास्तव-१

ले गया दिल में दबा कर राज कोई,
पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई ।

बांध कर मेरे परों में मुश्किलें,
हौसलों को दे गया परवाज़ कोई ।

नाम से जिसके मेरी पहचान है,
मुझमें उस जैसा भी हो अंदाज़ कोई ।

जिसका तारा था वो आँखें सो गईं,
अब नहीं करता है मुझ्पे नाज़ कोई ।

रोज़ उसको ख़ुद के अंदर खोजना,
रोज़ आना दिल से एक आवाज़ कोई ।