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लोग / विजय वाते

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भीगे रुमाल हिलाते लोग,
सूखे मन ले जाते लोग ।

होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी,
मन की गाँठ दिखाते लोग ।

चंदा जाए झूलाघर तो,
घर झूला ला पाते लोग ।

आपनी अपनी पीर लिए सब,
रोते लोग रुलाते लोग ।

शुद्ध गणित की भाषा मे अब,
गीत गज़ल भी गाते लोग ।