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लोभी के चित्त धन बैठे / संत तुकाराम
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लोभी के चित्त धन बैठे
कामिन के चित्त काम ।
माता के चित्त पुत<ref>पुत्र</ref> बैठे,
तुका के चित्त राम ।
भावार्थ :
जिस प्रकार लोभी आदमी के मन में सदा धन के विचार उठते रहते हैं अथवा कामी के मन में नित्य कामवासना की लहरें उठती हैं, या माँ के हृदय में हर समय पुत्र का ही
ख़याल बना रहता है, उसी प्रकार मेरे मन में सदा राम का स्मरण बना रहता है।
शब्दार्थ
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