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लौटने पर / महेश उपाध्याय
Kavita Kosh से
दफ़्तर के बाद क्या मिला ?
थाली में शाम और चन्द्रमा
धुले-धुले कपड़ों से
भरी-भरी अरगनी
साकेती आँगन में
रूठी कामायनी
छोटा-सा इक मुकद्दमा ।
पत्नी से मिर्च हरी
बच्ची से पापड़ी
तख़्ती पर लिखी हुई
आधी बारहखड़ी
सुबह दिए काम की क्षमा ।