भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लौट आया हूँ गाँव से / नन्दकिशोर नवल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लौट आया हूँ गाँव से ।
छोड़ आया हूँ पीछे
गाँव के लोगों को,
गाँव की सड़क को
और गाँव के छोटे-से स्टेशन को,
लेकिन रह गई है
मन में हिलती
ईख की सफ़ेद झण्डी ।