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वक़्त जल्दी बुरा नहीं जाता / हरि फ़ैज़ाबादी
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वक़्त जल्दी बुरा नहीं जाता
पर समय से डरा नहीं जाता
दर्द देता है देर तक वो ग़म
जो ख़ुशी से सहा नहीं जाता
नाव कैसे चलेगी जब तुमसे
चित्र में जल भरा नहीं जाता
ख़ुद की भी कुछ ख़बर न हो इतना
बेख़बर भी रहा नहीं जाता
ये तो मेरा है अपना आने दो
ख़त किसी का पढ़ा नहीं जाता
सच पे चल के ही मैंने सीखा है
हर जगह सच कहा नहीं जाता
ये हमारा यक़ीन है कोई
काम बेजा भला नहीं जाता