Last modified on 19 मार्च 2019, at 11:07

वक्त के साथ ढलना हमें आ गया / रंजना वर्मा

वक्त के साथ ढलना हमें आ गया
देख के ग़म पिघलना हमें आ गया

लड़खड़ाने लगे रास्तों पर मगर
ठोकरों से सँभलना हमें आ गया

लोग काँटे बिछाते डगर में रहे
उनसे बच के निकलना हमें आ गया

जिंदगी भर तपे कर्म की आँच में
शाम के साथ ढलना हमें आ गया

एक संकल्प की ली कुदाली उठा
भाग्य अपना बदलना हमें आ गया