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वज़ह मत पूछो / थेओ कांदीनास
Kavita Kosh से
वज़ह मत पूछो
जो ज़िन्दा रहा है
उसके पास काफ़ी वज़हें हैं
कि वह चला जाए
जब दिन ढल रहा हो
बिना आँसू बहाए
और जो रहे
उसके पास हँसने की कोई वज़ह नहीं है
उसके पास काफ़ी वज़हें हैं
रुकने की
और रोने की
अनुवाद : विष्णु खरे