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वतन के दुश्मनों से कब वो टकराया नहीं करते / शोभा कुक्कल

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वतन के दुश्मनों से कब वो टकराया नहीं करते
बहादुर देश के मरने से घबराया नहीं करते

खुशी के भी तराने अपने होंटों पर कभी लाओ
लबों पर गीत दुख के हर घड़ी लाया नहीं करते

इबादत रंग लाकर ही रहेगी एक दिन तेरी
हुजूमे-ग़म से यूँ दुनिया में घबराया नहीं करते

जो बद-नीयत हों दुनिया भर की रुसवाई कमाते हों
ज़बां पर ज़िक्र हम उनका कभी लाया नहीं करते

जिन्हें खुद्दारियां प्यारी हैं अपनी हमने देखा है
किसी के सामने वो हाथ फैलाया नहीं करते

ख़ुदा के घर में रहमत के ख़ज़ाने हैं बहुत 'शोभा'
कि खाली हाथ उसके दर से तो आया नहीं करते।