वन प्रभु पुंजन मैं, मालती निकुंजन मैं,
सीतल समीर, अनुसारतै रहत हैं।
कैसे धरै धीर जीव, पीव बिन मेरी बीर,
पीव-पीव पपिहा पुकारतै रहत हैं॥
वन प्रभु पुंजन मैं, मालती निकुंजन मैं,
सीतल समीर, अनुसारतै रहत हैं।
कैसे धरै धीर जीव, पीव बिन मेरी बीर,
पीव-पीव पपिहा पुकारतै रहत हैं॥