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वरदान / इन्द्रदेव भोला

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मिट्टी के पुतले में जान मिली,
मस्तिष्क में ज्ञान मिला ।
अधरों पर हंसी-मुस्कान मिली ,
स्वरों में मधुर गान मिला ।।

जीवात्मा को रहने का सुंदर शारीरिक मकान मिला ।
इस जग में मानव जाति को कैसा अद्भुत वरदान मिला ।।

मस्तिष्क-गागर में ज्ञान सागर
भरा, अनोखा विधान मिला ।
अनुभूति द्वारा आविष्कार
किये अनुपम विज्ञान मिला ।।

व्योम की गवेषणा की, हिमांशु पर गया, बल महान मिला ।
इस जग में मानव जाति को कैसा अद्भुत वरदान मिला ।।

नगपति के शिखर पर चढ़ा,
कृपार-तल का निशान मिला ।
हनुमन्तवेग चतुर्दिक चक्कर
काटा, शत शत ज्ञान मिला ।।

जीवन में नव्य आशाएं बंधीं मन को कल्याण मिला ।
इस जग में मानव जाति को कैसा अद्भुत वरदान मिला ।।

मनुज को योग-साधन से
इसी जीवन में भगवान मिला ।
पुण्य-धर्म-कर्म करने से
जीवन में मोक्ष-दान मिला ।।
 
नर होकर भी देवता बना , इसे अपूर्व उथान मिला ।
इस जग में मानव जाति को कैसा अद्भुत वरदान मिला ।।