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वर्णन / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
आज घटित हादसे के बारे में
संक्षेप में बतलाओ
वर्णन तथ्यपरक हो
और लगे तर्कसंगत
सन्देह के लिए जगह न बचे
शब्दों को दी जाए इतनी छूट
जितनी वर्णन के लिए ज़रूरी हो
बेमानी है ज़िक्र
अवान्तर प्रसंगों का
"लोग मारे ही जा रहे हैं"
यह होगा एक अमूर्त वाक्य
संक्षेप में यह कि
ज़ुबान से दी किसी ने भद्दी गालियाँ
एक ख़ास लय सुनी गई उनमें
स्वराघात और प्रवाह में बेजोड़ कुछ गालियाँ
संक्षेप में यह कि
कविता नहीं साध सकी वह लय
जो गालियों की भाषा में मुखर रही आई
आज घटित हादसे का वर्णन
समाप्त हुआ।